मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

बात कद्र और दिलचस्पी की

जिनको आप में दिलचस्पी है, उनकी कद्र कीजिये.
जिनको आपकी कद्र नहीं है, उनमें दिलचस्पी मत दिखाइये.
..............................ज्यादा खुश रहेंगे................................

शनिवार, 2 मार्च 2013

बात सोच और नजरिये की

किसी भी चीज को लेकर हमसब की सोच-समझ और नजरिये में कुछ न कुछ भिन्नताएँ होती है. हमसब को अपने से अलग सोच रखने वाले लोगों का नजरिया जरुर जानना और समझना चाहिए इस से हमारे खुद के नजरिये में व्यापकता आती है.

शनिवार, 5 जनवरी 2013

बात दिल और दिमाग की

जिन्दगी में कई ऐसे मौके आते हैं जब इन्सान समझ नहीं पता कि उसने सही किया या गलत, इन्सान जो कुछ भी करता है या तो वो दिमाग कि मानता है या फिर दिल की, जब वो दिल की मानता है तो दिमाग कहता है गलत जब वो दिमाग की करता है तो दिल कहता है गलत और ऐसा इसलिए होता है कि इन्सान के दिल और दिमाग एक दुसरे के विपरीत होता है।

दिल जानता है - प्यार, करूणा, दया, और ऐसी ही बहुत सी भावनाएं लेकिन दिमाग जानता है - बुद्धिमानी, चालाकी, चापलूसी, सही और गलत दिल होता सरल और दिमाग होता है जटिल |
दिल और दिमाग के बिच तारत्म्य बिठा के चलना ही जिंदगी है।

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

बात ईमानदारी की

ईमानदार होने का भ्रम लगभग सभी को होता और कुछ लोग इसका दावा भी करते रहते हैं, लेकिन अपने छोटे-छोटे स्वार्थ सिद्धि के लिए अपनी ईमानदारी से समझौता कर लेते हैं। सही मायने में ईमानदार वो होते हैं जो किसी भी कीमत पर अपनी ईमानदारी से समझौता नहीं करते बल्कि ईमानदारी के लिए बाकि सभी चीजों से समझौता कर लेते हैं.

शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

बात फिल्म और जिंदगी की

फिल्म को दर्शक बेहतर ढंग से देख और समझ सकें इसलिए शूटिंग के समय कैमरे को कभी ऊँचाइयों पे रखा जाता है तो कभी ज़मीन पर, कभी गतिमान तो कभी स्थिर। उसी प्रकार, हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव और ठहराव इस लिए आते हैं कि हम जिंदगी को अच्छी तरह से समझ सकें।

गुरुवार, 8 नवंबर 2012

बात स्वास्थ्य और स्वभाव की

स्वास्थ्य का बहुत गहरा सम्बन्ध हमारे स्वभाव से होता है। अगर स्वस्थ रहना चाहते हैं तो मस्त रहिये! जितने मस्त रहिये उतने जिम्मेवार भी। जिम्मेवारियों को मस्ती के साथ पूरा करने से सफलता के साथ-साथ लोकप्रियता भी मिलती है। और जिम्मेवारियों को और टेंशन के साथ पूरा करने से बेचैनी, झुन्झलाहट और थकान के साथ कभी-कभी असफलता भी हाथ आती है, जिसका सीधा असर हमारे सेहत  पर पड़ता है।

बात बोलने और बेचने की

सेल्स, मार्केटिंग और प्रमोशनल प्रोफेशन से जूड़े ज्यादातर लोगों में ज्यादा बोलने की बीमारी लग जाती है। इन लोगों को ये भ्रम होता है कि ज्यादा बोलने से ही ज्यादा बिकता है।
लेकिन सही मायने में काबिल वो लोग होते हैं जो कम से कम बोल कर ज्यादा से ज्यादा बेच देते हैं और ऐसे ही लोग इस क्षेत्र में बुलंदियों पर पहुचते हैं ।